THE DEFINITIVE GUIDE TO अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ

The Definitive Guide to अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ

The Definitive Guide to अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ

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विनीता ने जब उनके तुनकमिजाज होने का कारण पूछा तो उन्होंने

तौर-तरीके और अपनी शब्दावली होती है। जिस खेल में आपकी रुचि हो उससे संबंधित कुछ

आचार्य: जी, बहुत मीठी बात है। बड़े प्रेम से बोल रहे हैं आप और बात सही भी है।

अन्तरजाल पर साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

प्रश्नकर्ता: क्या अहंकार भी सात्विक, राजसिक, तामसिक होता है? कृपया मार्गदर्शन करें।

आचार्य: बस। आत्मा को कोई परेशानी नहीं है, आत्मा को कुछ हासिल नहीं करना है। ना आगे जाना है, ना पीछे जाना है। सारी दिक़्क़तें किसके लिए हैं?

“बहुत बढ़िया, हमसे बढ़िया कौन हो सकता है!”

संघर्ष करते हुए मृत्यु को प्राप्त हुए।

का जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ा। हम मशहूर शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ

मिला। उस वर्ष अपने बड़े भाई रमेश के साथ मिलकर उन्होंने मुंबई लीग में अपने

अब ये मन आत्म-जिज्ञासा में प्रवृत्त हो जाता है। लक्ष्य इसके पास भी है, पर अब इसका लक्ष्य संसार नहीं है।

रन, छक्का, चौका आदि। सिली प्वाइंट, मिडआन, check here मिडआफ, रन आउट, शतक, फील्डर, गेंदबाज,

बीते दिन भुला देना जरा भी समझदारी की बात नहीं है। धनराज की माँ ने उन्हें यही

आसमान तक पहुँचने का सफर तय किया है। एक अभावग्रस्त बचपन जीने वाला यह व्यक्ति आज

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